दिनांक – 22 मार्च 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2079
शक संवत् – 1944
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत
मास – चैत्र
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा रात्रि 08:20 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – उत्तरभाद्रपद शाम 03:52 तक तत्पश्चात रेवती
योग – शुक्ल सुबह 09:18 तक तत्पश्चात इंद्र
राहु काल – दोपहर 12:47 से 02:18 तक
सूर्योदय – 06:42
सूर्यास्त – 06:51
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:07 से 05:55 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:23 से 01:10 तक
व्रत पर्व विवरण – चैत्री नूतन वर्ष वि.सं. 2080 प्रारम्भ, गुड़ी पड़वा, चैत्री नवरात्र प्रारम्भ, हेडगेवार जयंती, चंद्र दर्शन (शाम 06:51 से 07:34)
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
चैत्र नवरात्रि (22 से 30 मार्च 2023)
प्रतिपदा तिथि (नवरात्र के पहले दिन) पर माता को घी का भोग लगाएं । इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है ।
नवरात्रि का महत्व
देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि का महत्त्व वर्णन किया है । मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए देवी की महिमा सुनायी है, नवरात्रि के 9 दिन उपवास करने के शारीरिक लाभ बताये हैं ।
शरीर में आरोग्य के कण बढ़ते हैं ।
जो उपवास नहीं करता तो रोगों का शिकार हो जाता है, जो नवरात्रि के उपवास करता है, तो भगवान की आराधना होती है, पुण्य तो बढ़ता ही है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य भी वर्ष भर अच्छा रहता है ।
प्रसन्नता बढ़ती है । द्रव्य की वृद्धि होती है । लंघन और विश्रांति से रोगी के शरीर से रोग के कण खत्म होते हैं ।
नौ दिन नहीं तो कम से कम 7 दिन / 6 दिन /5 दिन , या आख़िरी के 3 दिन तो जरुर उपवास रख लेना चाहिए ।
3. नवरात्री में भगवती रुप में कन्या का पूजन हो (पूजन करने के लिए कन्या कैसी हो इसका वर्णन बापूजी ने किया) और प्रेरणा देनेवाली ऐसी कन्या को भगवती समझ कर पूजन करने से दुःख मिटता है, दरिद्रता मिटती है ।
नवरात्रि के पहले दिन स्थापना, देव वृत्ति की कुंवारी कन्या का पूजन हो ।
नवरात्रि के दूसरे दिन 3 वर्ष की कन्या का पूजन हो, जिससे धन आएगा ,कामना की पूर्ति के लिए ।
नवरात्रि के तीसरे दिन 4 वर्ष की कन्या का पूजन करें, भोजन करायें तो कल्याण होगा, विद्यामिलेगी, विजय प्राप्त होगा, राज्य मिलता है ।
नवरात्रि के चौथे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करें और भोजन करायें । रोग नाश होते हैं ।
या देवी सर्व भूतेषु आरोग्य रुपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमो नमः ।।
जप करें; पूरा साल आरोग्य रहेगा ।
नवरात्रि के पांचवे दिन 6 वर्ष की कन्या काली का रुप मानकर पूजन करके भोजन करायें तो शत्रुओं का दमन होता है ।
नवरात्रि के छठे दिन 7 वर्ष की कन्या का चंडी का रुप मानकर पूजन करके भोजन करायें तो ऐश्वर्य और धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है ।
नवरात्रि के सातवे दिन 8 वर्ष की कन्या का शाम्भवी रुप में पूजन कर के भोजन करायें तो किसी महत्त्व पूर्ण कार्य करने के लिए, शत्रु पे धावा बोलने के लिए सफलता मिलेगी ।
नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गा पूजा करनी चाहिए । सभी संकल्प सिद्ध होते हैं । शत्रुओं का संहार होता है ।
नवरात्रि के नवमी को 9 से 17 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है । नवरात्रि में पति पत्नी का व्यवहार नहीं, संयम से रहें ।
चैत्री नूतन वर्ष ( गुडी पड़वा ): 22 मार्च 2023 – बि. सं 2080 प्रारम्भ
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या गुडी पड़वा वर्ष का आरम्भ दिवस माना जाता है ।
इस दिन मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी ने बालि के अत्याचार से लोगों को मुक्त किया था । उसकी खुशी में लोगों ने घर-घर गुड़ी (ध्वजा) खड़ी कर उत्सव मनाया इसलिए यह दिन ‘गुड़ी पड़वा’ नाम से प्रचलित हुआ ।
शालिवाहन ने शत्रुओं पर विजय पायी, जिससे इस दिन से शालिवाहन शक प्रारम्भ हुआ ।
इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय पायी और विक्रम संवत्सर प्रारम्भ हुआ ।
आध्यात्मिक ढंग से देखें तो यह सतयुग का प्रारम्भिक दिवस है । ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का आरम्भ किया उस समय इस तिथि को ‘प्रवरा’ (सर्वोत्तम) तिथि सूचित किया था ।
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