Aaj ka Panchang 27 March: नवरात्रि का छठवां दिन, जानें मुहूर्त और शुभ योग का समय
Aaj ka Panchang 27 March: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 27 मार्च 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत
मास – चैत्र
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी शाम 05:27 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – रोहिणी दोपहर 03:27 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग – आयुष्मान रात्रि 11:20 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहु काल – सुबह 08:09 से 09:41 तक
सूर्योदय – 06:37
सूर्यास्त – 06:53
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:03 से 05:50 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:22 से 01:08 तक
व्रत पर्व विवरण – यमुना छठ {यमुना जयंती}
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चैत्र नवरात्रि
नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने का विधान है । महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था । इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं । नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रृति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती हैं । वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं
नवरात्र की षष्ठी तिथि यानी छठे दिन माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं । इससे धन लाभ होने के योग बनने हैं ।
सोमवार विशेष
कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु
जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।
सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।
सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।
बुरे व विकारी सपनों से बचाव
रात्रि को सोने से पूर्व 21 बार ‘ॐ अर्यमायै नमः’ मंत्र का जप करने से तथा तकिये पर अपनी माँ का नाम लिखने से (स्याही-पेन से नहीं, केवल उँगली से) व्यक्ति बुरे एवं विकारी सपनों से बच जाता है ।
आहार-सम्बन्धी कुछ आवश्यक नियम
१- सदैव अपने कार्यके अनुसार आहार लेना चाहिये । यदि आपको कठोर शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है तो अधिक पौष्टिक आहार लेवें । यदि आप हलका शारीरिक परिश्रम करते हैं तो हलका सुपाच्य आहार लेवें ।
२- प्रतिदिन निश्चित समयपर ही भोजन करना चाहिये ।
३- भोजनको मुँहमें डालते ही निगले नहीं, बल्कि खूब चबाकर खायें, इससे भोजन शीघ्र पचता है ।
४- भोजन करनेमें शीघ्रता न करें और न ही बातोंमें व्यस्त रहें ।
५- अधिक मिर्च-मसालोंसे युक्त तथा चटपटे और तले हुए खाद्य पदार्थ न खायें। इससे पाचन-तन्त्रके रोगविकार उत्पन्न होते हैं ।
६- आहार ग्रहण करनेके पश्चात् कुछ देर आराम अवश्य करें ।
७- भोजनके मध्य अथवा तुरंत बाद पानी न पीयें । उचित तो यही है कि भोजन करनेके कुछ देर बाद पानी पिया जाय, किंतु यदि आवश्यक हो तो खानेके बाद बहुत कम मात्रामें पानी पी लेवें और इसके बाद कुछ देर ठहरकर ही पानी पीयें ।
८- ध्यान रखें, कोई भी खाद्य पदार्थ बहुत गरम या बहुत ठंडा न खायें और न ही गरम खानेके साथ या बादमें ठंडा पानी पीयें ।
९- आहार लेते समय अपना मन-मस्तिष्क चिन्तामुक्त रखें ।
१०- भोजनके बाद पाचक चूर्ण या ऐसा ही कोई भी अन्य औषध-पदार्थ सेवन करनेकी आदत कभी न डालें । इससे पाचन-शक्ति कमजोर हो जाती है ।
११- रात्रिको सोते समय यदि सम्भव हो तो गरम ( गुनगुना ) दूधका सेवन करें ।
१२- भोजनोपरान्त यदि फलोंका सेवन किया जाय तो यह न केवल शक्तिवर्द्धक होता है, बल्कि इससे भोजन शीघ्र पच भी जाता है ।
१३- जितनी भूख हो, उतना ही भोजन करें। स्वादिष्ठ पकवान अधिक मात्रामें खानेका लालच अन्ततः अहितकर होता है ।
१४- रात्रिके समय दही या लस्सीका सेवन न करें ।
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