धर्म
Aaj Ka Panchang, 4 May: बृहस्पतिवार राहु काल के साथ जानें शुभ और अशुभ मुहूर्त
Aaj ka Panchang 04 May: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिन – गुरुवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म
मास – वैशाख
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी रात्रि 11:44 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – चित्रा रात्रि 09:35 तक तत्पश्चात स्वाती
योग – वज्र सुबह 10:35 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहु काल – दोपहर 02:35 से 03:52 तक
सूर्योदय – 06:05
सूर्यास्त – 07:07
दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:37 से 05:21 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:14 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण – श्री नृसिंह जयंती, गुरु अमरदासजी जयंती, श्रीमद् आद्य शंकराचार्य कैलास-गमन
विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
श्री नृसिंह जयंती – 04 मई 2023
संकटनाशक मंत्रराज
नृसिंह भगवान का स्मरण करने से महान संकट की निवृत्ति होती है । जब कोई भयानक आपत्ति से घिरा हो या बड़े अनिष्ट की आशंका हो तो भगवान नृसिंह के इस मंत्र का अधिकाधिक जप करना चाहिए :
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् ।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ।।
पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है कि “इस विशिष्ट मंत्र के जप और उच्चारण से संकंट कि निवृत्ति होती है ।”*
ऋषि प्रसाद – जुलाई २०२० से
लू : सुरक्षा व निवारण
लू से बचने के लिए तेज धूप में घर से बाहर निकलते समय पानी पीकर एवं जुते व टोपी पहन के ही निकलें । एक प्याज को (ऊपर का मरा छिलका हटाकर) अपनी जेब में रखनेमात्र से लू नहीं लगती । लू लगने पर प्याज का रस शरीर पर मलने से लाभ होता है ।
लू लगने पर मोसम्बी के रस का सेवन बहुत ही लाभदायी है ।
गर्मी के दिनों में गुलकंद, गुलाब शरबत, पलाश शरबत व ब्राह्मी शरबत आदि के सेवन से लू से बचा जा सकता है । (ये उत्पाद संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों O से तथा समितियों से प्राप्त हो सकते हैं ।)
गुरुवार विशेष
हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
( लोक कल्याण सेतु , अंक – ११६ )
गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*
गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।