चैत्र नवरात्री का पहला दिन, जानें आज के दिन पूजने वाली मां शैलपुत्री के नाम का अर्थ
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि विधान करने के साथ उनके मंत्र का अवश्य जाप करना चाहिए। ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

चैत्र नवरात्री आज से प्रारंभ हो चुकी है। चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के साथ चैत्र नवरात्री की शुरूआत हुई है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ दुर्गा मां के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री है। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
साथ ही पार्वती के रूप में इन्हें भगवान शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है।
वहीं वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि विधान करने के साथ साथ उनके मंत्र का अवश्य जाप करना चाहिए।
इस मंत्र का कम से कम 11 बार जाप जरूर करें। इसके साथ ही धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
माता शैलपुत्री का मंत्र
वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्र अर्धकृत शेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
इस मंत्र का अर्थ है: मैं मनोवांछित लाभ के लिए अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली, वृष पर सवार रहने वाली है, शूलधारिणी और यशस्विनी मां शैलपुत्री की वंदना करता हूं।
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