Today Panchang: जानें 20 दिसंबर का शुभ मुहूर्त, राहु काल और ग्रह-नक्षत्र की चाल
Today Panchang: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 20 दिसम्बर 2021
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2078
शक संवत -1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – पौस (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार मार्गशीर्ष मास)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – प्रतिपदा दोपहर 12:36 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – आर्द्रा शाम 07:46 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग – शुक्ल सुबह 10:59 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहुकाल – सुबह 08:32 से सुबह 09:54 तक
सूर्योदय – 07:12
सूर्यास्त – 18:00
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
उम्र बढाने हेतु
स्कन्द पुराण में आया है कि भोजन करते समय ५ अंग धोकर जो भोजन करता है उसकी उम्र १०० साल की होती है … उसकी आयु बढ़ती है ५ अंग …२ हाथ ….२ पैर… और मुंह धोकर भोजन करने बैठें ।
-श्री सुरेशानंदजी उज्जैन 8/1/2012
तुलसी महिमा
25 दिसम्बर 2021 को तुलसी पूजन दिवस है ।
- तुलसी के निकट जिस मंत्र-स्तोत्र आदि का जप-पाठ किया जाता है, वह सब अनंत गुना फल देनेवाला होता है |
प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, भूत, दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते है | - ब्रह्महत्या आदि ताप तथा पाप और बुरे विचार से उत्पन्न होनेवाले रोग तुलसी के सामीप्य एवं सेवन से नष्ट हो जाते हैं |
- तुलसी का पूजन, रोपण व धारण पाप को जलाता है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदायक है |
- श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला है |
- जो चोटी में तुलसी स्थापित करके प्राणों का परित्याग करता है, वह पापराशि से मुक्त हो जाता है |
- तुलसी के नाम-उच्चारण से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है |
- तुलसी ग्रहण करके मनुष्य पातकों से मुक्त हो जाता है |
तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल जो अपने सिर पर धारण करता है, उसे गंगास्नान और १० गोदान का फल प्राप्त होता है |
पद्मपुराण (ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१४ से )
घर में सुख-शांति के लिए
घर में सुख-शांति, कामधंधे में स्थिति चाहिये तो पर्वों के दिनों में तुलसी के १०८ परिक्रमा करें |
तुलसी मंत्र
तुलसी माता पर जल चढ़ाते हुए इस मंत्र को बोलें
महाप्रसाद जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि जरा मुक्तं तुलसी त्वाम् नमोस्तुते
इस मंत्र का अर्थ है
हे भक्ति का प्रसाद देने वाली माँ! सौभाग्य बढ़ाने वाली, मन के दुःख, और शरीर के रोग दूर करने वाली तुलसी माता को हम प्रणाम करते है |
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