दिनांक – 30 दिसम्बर 2022
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2079
शक संवत् – 1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – अष्टमी शाम 06:33 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – उत्तरभाद्रपद सुबह 11:24 तक तत्पश्चात रेवती
योग – वरियान सुबह 09:46 तक तत्पश्चात परिघ
राहु काल – सुबह 11:22 से 12:42 तक
सूर्योदय – 07:20
सूर्यास्त – 06:04
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:34 से 06:27 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 से 01:09 तक
व्रत पर्व विवरण – श्री रमण महर्षि जयंती (दि.अ)
विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
वजन बढ़ाने हेतु
क्या खायें : मधुर व स्निग्ध पदार्थ, जैसे देशी गाय या भैंस का दूध-घी, मक्खन, ताजा मीठा दही, गेहूँ, दालें, चावल, उड़द, चने, लाल चौलाई, शकरकंद, चुकंदर, मूँगफली, गोंद, तिल, फलों में आम, केला, चीकू, सीताफल, सेवफल, नारियल, खजूर, बादाम, काजू, अखरोट, अंजीर, मखाना आदि सूखे मेवे ।
२ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण घी मिश्रित दूध अथवा आँवले के २० मि.ली. रस के साथ सुबह लेना पुष्टिकारक है । साथ में भिगोये हुए ५-७ खजूर ले सकते हैं ।
सुवर्ण-सिद्ध जल : ४ लीटर पानी में ४-५ ग्राम शुद्ध सुवर्ण डाल के पानी को उबालकर आधा करें । इसका सेवन विशेष लाभदायी है
क्या न खायें : कड़वे, कसैले तीखे, रूखे-सूखे पदार्थ, जौ, ज्वार, मूँग, अरहर, करेला, मेथीदाना, सहजन, शहद, त्रिफला, हरड़, गोमूत्र आदि न लें ।
क्या करें : उचित समय पर निद्रा एवं वीर्य की सुरक्षा पर अवश्य ध्यान दें । प्रातः ३ से ५ बजे के बीच प्राणायाम करें । हास्य-प्रयोग करें, प्रसन्नचित्त रहें । मन की शांति शरीर को पुष्ट करनेवाले उपायों में सर्वश्रेष्ठ है ।
क्या न करें : अधिक उपवास, भुखमरी, चिंता, शोक, भय, व्यथा, अति मानसिक परिश्रम, क्षमता से अधिक कार्य, व्यायाम व प्राणायाम, रात्रि जागरण, व्यसन, हस्तमैथुन, पति-पत्नी के अधिक व्यवहार, अजीर्ण, कब्ज आदि से बचें ।
ध्यान दें : पौष्टिक आहार पचाने हेतु पाचनशक्ति अच्छी होना जरूरी है । इस हेतु सूर्यनमस्कार, व्यायाम व आसन नियमित करें । भूख की कमी हो तो पहले लीवर टॉनिक टेबलेट, एलोवेरा जूस, पंचरस आदि लेकर या वैद्यकीय सलाह से औषधि सेवन करके पाचनशक्ति बढ़ायें । मालिश भी खूब हितकारी है ।
वजन बढ़ाने में सहायक उत्पाद : पुष्टि कल्प, अश्वगंधा चूर्ण, शतावरी चूर्ण, च्यवनप्राश, अश्वगंधा पाक, सौभाग्य शुंठी पाक, द्राक्षावलेह, मामरा बादाम, खजूर, घी । (ये आश्रम के सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर व समितियों में उपलब्ध हैं ।)
विशेष : ‘दिव्य प्रेरणा- प्रकाश’ पुस्तक में दिये गये नियमों का पालन आवश्यक है ।
पुण्यदायी तिथियाँ व योग – 2023 जनवरी
२ जनवरी : पुत्रदा एकादशी (पुत्र की इच्छा से इसका व्रत करनेवाला पुत्र पाकर स्वर्ग का भी अधिकारी हो जाता है ।)
५ जनवरी : चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग [रात्रि ९-२६ से २-१४ (६ जनवरी २-१४ AM) तक ] ( ॐकार का जप अक्षय फलदायी)
८ जनवरी : रविपुष्यामृत योग (सूर्योदय से ९ जनवरी सुबह ६-०५ तक)
१० जनवरी : अंगारकी – मंगलवारी चतुर्थी ( दोपहर १२-०९ से ११ जनवरी सूर्योदय तक)
१५ जनवरी : मकर संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक)
१८ जनवरी : षट्तिला एकादशी (इस दिन स्नान, उबटन, जलपान, भोजन, दान व होम में तिल का उपयोग पापों का नाश करता है ।
२८ जनवरी : माघ शुक्ल सप्तमी (माघ शुक्ल सप्तमी को प्रातः पुण्यस्नान, व्रत करके गुरु-पूजन करनेवाला सम्पूर्ण माघ मास के स्नान का व वर्षभर के रविवार व्रत का पुण्य पा लेता है । यह सम्पूर्ण पापों को हरनेवाली व सुख-सौभाग्य की वृद्धि करनेवाली है ।)*
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