आज का हिन्दू पंचांग 5 अप्रैल: रात्रि में माता काली जी की विधिवत करें पूजा
आज का हिन्दू पंचांग 5 अप्रैल: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 05 अप्रैल 2022
दिन -मंगलवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत – 1944
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत
मास – चैत्र
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्थी दोपहर 03:45 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र – कृतिका दोपहर 04:52 तक तत्पश्चात रोहिणी
योग – प्रीती सुबह 08:00 तक तत्पश्चात आयुष्मा
राहुकाल – दोपहर 03:49 से 05:23 तक
सूर्योदय – 06:29
सूर्यास्त – 06:56
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त– सुबह 04:56 से 05:42 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.28 से 01:15 तक
अभिजित मुहुर्त– दोपहर 12:19 से 01:08 तक
अमृत काल: रात्रि 12:01 से 01:40 तक
व्रत पर्व विवरण – मंगलवारी – विनायक चतुर्थी
विशेष : चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
मंगलवारी चतुर्थी महिमा
जैसे सूर्य ग्रहण को दस लाख गुना फल होता है वैसे ही मंगलवारी चतुर्थी को होता है । बहुत मुश्किल से ऐसा योग आता है। मत्स्य पुराण, नारद पुराण आदि शास्त्र में इसकी भारी महिमा है ।
इस दिन अगर कोई जप, दान, ध्यान, संयम करता है तो वह दस लाख गुना प्रभावशाली होता है, ऐसा वेदव्यास जी ने कहा है।
मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड.कर जप-ध्यान करना। जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है।
बिना नमक का भोजन करें, मंगल देव का मानसिक आह्वान करें।चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें। कितना भी कर्जदार हो ..काम धंधे से बेरोजगार हो रोजी रोटी तो मिलेंगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा।
चैत्र नवरात्रि
पूज्य बापूजीनवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।
मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं ।इससे समस्याओं का अंत होता है ।
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