आज का हिन्दू पंचांग 19 फरवरी: आज इन शुभ मुहूर्तों में करें शनिदेव की पूजा- अर्चना
आज का हिन्दू पंचांग 19 फरवरी: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 19 फरवरी 2022
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2078
शक संवत -1943
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत ऋतु प्रारंभ
मास – फाल्गुन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार- माघ)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – तृतीया रात्रि 09:56 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी शाम 04:51 तक तत्पश्चात हस्त
योग – धृति शाम 04:57 तक तत्पश्चात शूल
राहुकाल – सुबह 10:00 से सुबह 11:26 तक
सूर्योदय – 07:07
सूर्यास्त – 18:37
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – छत्रपति शिवाजी जयंती (दि.अ.)
विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए
20 फरवरी 2022 रविवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:07)
शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को
चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
ॐ गं गणपते नमः ।
ॐ सोमाय नमः ।
चतुर्थी तिथि विशेष
- चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी हैं।
- हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।
- पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
- शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥
- अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
- कोई कष्ट हो तो
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |
छः मंत्र इस प्रकार हैं –
ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
ॐ अविघ्नाय नम:
ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:
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