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दिनांक – 16 जुलाई 2022
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत – 1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – तृतीया दोपहर 01:27 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – धनिष्ठा अपरान्ह 03:10 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – आयुष्मान रात्रि 08:50 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहु काल – सुबह 09:25 से 11:05 तक
सूर्योदय – 06:03
सूर्यास्त – 07:28
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 04:39 से 05:21 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:25 से 01:07 तक
व्रत पर्व विवरण – संक्रांति, संकष्ट चतुर्थी
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
संक्रांति – 16 जुलाई 2022
पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक
इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।
पीपल-वृक्ष का महत्त्व क्यों ?
पीपल को सभी वृक्षों में श्रेष्ठ वृक्ष माना गया है। इसे ‘वृक्षराज’ कहा जाता है । पूज्य बापूजी के सत्संग वचनामृत में आता है : “पीपल की शास्त्रों में बड़ी भारी महिमा गायी है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है : अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां… ‘मैं ने सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूँ।’ (गीता १०.२६)
पीपल में विष्णुजी का वास, देवताओं का वास बताते हैं अर्थात् उसमें सत्त्व का प्रभाव है । पीपल सात्त्विक वृक्ष है । संस्कृति विज्ञान पीपल देव की पूजा से लाभ होता है, उनकी सात्त्विक तरंगें मिलती हैं । हम भी बचपन में पीपल की पूजा करते थे ।
इसके पत्तों को छूकर आनेवाली हवा चौबीसों घंटे आह्लाद और आरोग्य प्रदान करती है ।
बिना नहाये पीपल को स्पर्श करते हैं तो नहाने जितनी सात्त्विकता, सज्जनता चित्त में आ जाती है और नहा-धोकर अगर स्पर्श करते हैं तो दोगुनी आती है ।
शनिदेव स्वयं कहते हैं कि ‘जो शनिवार को पीपल को स्पर्श करता है, उसको जल चढ़ाता है, उसके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उसको कोई पीड़ा नहीं होगी ।’
पीपल का पेड़ प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता है और थके हारे दिल को भी मजबूत बनाता है ।
पीपल के वृक्ष से प्राप्त होनेवाले ऋण आयन, धन ऊर्जा स्वास्थ्यप्रद हैं। पीपल को देखकर मन प्रसन्न, आह्लादित होता है । पीपल ऑक्सीजन नीचे को फेंकता है और २४ घंटे ऑक्सीजन देता है। अतः पीपल के पेड़ खूब लगाओ । अगर पीपल घर या सोसायटी की पश्चिम दिशा में हो तो अनेक गुना लाभकारी है ।
पीपल की शास्त्रों में महिमा
‘पीपल को रोपने, रक्षा करने, छूने तथा पूजने से वह क्रमशः धन, पुत्र, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करता है ।
अश्वत्थ के दर्शन से पाप का नाश और स्पर्श से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। उसकी प्रदक्षिणा करने से आयु बढ़ती है ।
पीपल की ७ प्रदक्षिणा करने से १० हजार गौओं के, और इससे अधिक बार परिक्रमा करने पर करोड़ों गौओं के दान का फल प्राप्त होता है। अतः पीपल-वृक्ष की परिक्रमा नियमित रूप से करना लाभदायी है ।
पीपल को जल देने से दरिद्रता, दुःस्वप्न, दुश्चिता तथा सम्पूर्ण दुःख नष्ट हो जाते हैं। जो बुद्धिमान पीपल वृक्ष की पूजा करता है उसने अपने पितरों को तृप्त कर दिया ।
नुष्य को पीपल के वृक्ष के लगानेमात्र से इतना पुण्य मिलता है जितना यदि उसके सौ पुत्र हों और वे सब सौ यज्ञ करें तब भी नहीं मिल सकता है । पीपल लगाने से मनुष्य धनी होता है ।
पीपल की जड़ के पास बैठकर जो जप, होम, स्तोत्र-पाठ और यंत्र-मंत्रादि के अनुष्ठान किये जाते हैं उन सबका फल करोड़ गुना होता है ।’ (पद्म पुराण)
घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष मंगलकारी माना गया है । (अग्नि पुराण)
‘जो मनुष्य एक पीपल का पेड़ लगाता है उसे एक लाख देववृक्ष (पारिजात, मंदार आदि विशिष्ट वृक्ष) लगाने का फल प्राप्त होता है ।’ (स्कंद पुराण)
‘सम्पूर्ण कार्यों की सिद्धि के लिए पीपल और बड़े के मूलभाग में दीपदान करना अर्थात दीपक जलाना चाहिए ।’
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