आज का हिन्दू पंचांग 5 मई: वैशाख माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर रहेगा मृगशिरा नक्षत्र
आज का हिन्दू पंचांग 5 मई: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक 05 मई 2022
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत – 1944
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म
मास – वैशाख
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्थी सुबह 10:00 बजे तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र – मृगशिरा सुबह 06:07 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
योग – सुकर्मा अपरान्ह 05:08 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल – दोपहर 02:15 से 03:53 तक
सूर्योदय – 06:04
सूर्यास्त – 07:09
दिशाशूल – दक्षिण दिशा
ब्रह्म मुहूर्त– प्रातः 04:37 से 05:20 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.14 से 12:58 तक
विवरण – श्री रामानुजाचार्य जयंती
विशेष– चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कमर-दर्द मिटाने व शक्ति बढ़ाने हेतु
रात में 60ग्राम गेहूँ व 2बादाम पानी में भिगो दें।सुबह गेहूँ और बादाम (छिलके निकाल के ) 30ग्राम खसखस के साथ मिला के बारीक पीस लें।
इस मिश्रण को दूध में पकाकर खीर बना लें 2हफ्ते खाने से कमर का दर्द दूर होता है तथा ताकत भी बढ़ती है।- ऋषि प्रसाद
पित्त-नाश व बलवृधि के लिए:
पीपल के कोमल पत्तों का मुरब्बा बड़ी शक्ति देता है | इसके सेवन से शरीर की कई प्रकार की गर्मी-संबंधी बीमारियाँ चली जाती है | यह किडनी की सफाई करता है | पेशाब खुलकर आता है | पित्त से होने वाली आँखों की जलन दूर होती है | यह गर्भाशय व मासिक संबंधी रोगों में लाभकारी है | इसके सेवन से गर्भपात का खतरा दूर हो जाता है |
पीपल के पत्ते ऐसे नहीं तोड़ना चाहिए | पहले पीपल देवता को प्रणाम करना कि ‘महाराज ! औषध के लिए हम आपकी सेवा लेते हैं, कृपा करना |’ पीपल को काटना नहीं चाहिए | उसमें सात्विक देवत्व होता है |
मुरब्बा बनाने की विधि*: *पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें, फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व ५० ग्राम देशी गाय का घी मिलाकर धीमी आँच पर सेंक लें | गाढ़ा होने पर ठंडा करके सुरक्षित किसी साफ बर्तन ( काँच की बरनी उत्तम है ) में रख लें |
सेवन-विधि: १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें |
हृदय मजबूत करने के लिए : १०-१२ ग्राम पीपल के कोमल पत्तों का रस और चोथाई चमम्च पीसी मिश्री सुबह-शाम लेने से हृदय मजबूत होता है, हृदयघात (हार्ट -अटैक) नहीं होता | इससे मिर्गी व मूर्च्छा की बीमारी में लाभ होता है |
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