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आज का हिन्दू पंचांग11 अक्टूबर: हनुमान जी की पूजा का बना है उत्तम संयोग, जानें तिथि

आज का हिन्दू पंचांग 11 अक्टूबर: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 11 अक्टूबर 2022

दिन – मंगलवार

विक्रम संवत् – 2079

शक संवत् – 1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद

मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र में अश्विन मास)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – द्वितीया रात्रि 01:29 तक तत्पश्चात तृतीया

नक्षत्र – अश्विनी शाम 04:17 तक तत्पश्चात भरणी

योग – हर्षण शाम 03:17 तक तत्पश्चात वज्र

राहु काल – अपरान्ह 03:22 से 04:50 तक

सूर्योदय – 06:35

सूर्यास्त – 06:18

दिशा शूल – उत्तर दिशा में

ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:57 से 05:46 तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:02 से 12:51 तक

व्रत पर्व विवरण

विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी 

प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है । सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पापनाशक है । भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसीबन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है ।

भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए । ब्रह्माजी नारदजी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महिनों तक भी नहीं किया जा सकता ।’

श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है । ‘ॐ नमो नारायणाय ‘। इस महामंत्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है । कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए ।

प्रात: उठकर करदर्शन करें । ‘पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है ।

सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें

जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करनेवाला हो जाता है । पूरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं ।

पथरी व पेशाब संबंधी तकलीफों में…

कइयों का पेशाब आना बंद हो जाता है अथवा ठीक से नहीं आता तो डॉक्टर नली डाल देते हैं, थैली लटका देते हैं, उसमें पेशाब बूँद-बूँद गिरता रहता है और लोग बीमार बने रहते हैं । ऐसा करवाने की कोई जरूरत नहीं है । पेशाब संबंधी तकलीफें हों, पथरी की बीमारी हो, गुर्दे (kidney) की सूजन हो तो सरल-सीधे उपाय हैं :

(१) मकई के भुट्टे में जो रेशम जैसे बाल होते हैं वे बाल और दाने निकालकर टुकड़े किये हुए भुट्टे सुखा दो । उनको जलाकर राख बना दो और कपड़े से छान के रख लो । १-१ ग्राम राख सुबह-शाम पानी से फाँको । पथरी की बीमारी में फायदा, पेशाब की कमी या और कुछ गड़बड़ है तो उन सबमें फायदा हो जायेगा ।

(२) इष्टमंत्र या गुरुमंत्र का जप करो और मकई के भुट्टे के ५० ग्राम बालों को मसलकर २ लीटर पानी में धीमी आँच पर उबालो । १ लीटर पानी बच जाय फिर उसको छान लो । उस पानी को थोड़ा-थोड़ा करके दिनभर में पी लो । इससे गुर्दों की सूक्ष्म कोशिकाओं की शुद्धि होकर गुर्दों की सूजन, गुर्दों की अकर्मण्यता (kidney failure), पथरी, पेशाब में बार-बार होनेवाला संक्रमण आदि विकारों में चमत्कारिक लाभ होता । काहे को डायलिसिस कराना, काहे को गुर्दे है । (किडनियाँ) बदलवाना !
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