धर्म
आज का हिन्दू पंचांग 13 सितम्बर: अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें मुहूर्त और शुभ योग
आज का हिन्दू पंचांग 13 सितम्बर: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 13 सितम्बर 2022
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2079
शक संवत् – 1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – तृतीया सुबह 10:37 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – रेवती सुबह 06:36 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – वृद्धि सुबह 07:37 तक तत्पश्चात व्याघात
राहु काल – अपरान्ह 03:40 से 05:13 तक
सूर्योदय – 06:25
सूर्यास्त – 06:45
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:52 से 05:39 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:12 से 12:59 तक
व्रत पर्व विवरण – अंगारकी-मंगलवारी चतुर्थी, तृतीया एवं चतुर्थी का श्राद्ध
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
अंगारकी-मंगलवारी चतुर्थी
13 सितम्बर सुबह 10:38 से 14 सितम्बर सुर्योदय तक ।
अंगारकी चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना… जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है ।
बिना नमक का भोजन करें ।
मंगल देव का मानसिक आह्वान करो
चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें ।
कितना भी कर्जदार हो… काम धंधे से बेरोजगार हो… रोजी-रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा ।
श्राद्ध : एक पुण्यदायी, भगवदीय कर्म
(श्राद्ध पक्ष 10 सितम्बर से 25 सितम्बर)
गरुड़ पुराण (१०.५७-५९) में आता है कि समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता ।
… आयुः पुत्रान् यशः स्वर्गं कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम् । पशून सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात् ।…
पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, पशुधन, सुख, धन और धान्य प्राप्त करता है ।
देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्त्व है । देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है ।
जो लोग श्राद्ध नहीं करते उनके पितर असंतुष्ट रहते हैं तथा उनके घर में सुख शांति व समृद्धि की कमी, बीमारियाँ यह सब होता है । इसलिए अच्छी संतान व स्वास्थ्य के लिए भी पितृ श्राद्ध करना चाहिए । जो श्राद्ध करता है और दूसरों की भलाई करता है उसको दूसरे लोग कुछ देते हैं तो देनेवाले को पुण्य हो जाता है, आनंद हो जाता है ।
श्राद्ध में जब तुलसी के पत्तों का उपयोग होता है तो पितर तृप्त रहते हैं और ‘विष्णुलोक’ को चले जाते हैं । बड़े तृप्त होते हैं तो बड़ा आशीर्वाद हैं ! में तो तुलसी के प्रयोग से ही श्राद्ध करता हूँ ।
यह भी पढ़े: दिल्ली में खत्म हुई शराब पर मिलने वाली बंपर छूट, जानें नई नीतियां