धर्म

आज का हिन्दू पंचांग 28 सितम्बर: नवरात्रि के तीसरे दिन का जानें पंचांग और राहुकाल

आज का हिन्दू पंचांग 28 सितम्बर: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 28 सितम्बर 2022

दिन – बुधवार

विक्रम संवत् – 2079

शक संवत् – 1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद

मास – आश्विन

पक्ष – शुक्ल

तिथि – तृतीया रात्रि 01:27 तक तत्पश्चात चतुर्थी

नक्षत्र – स्वाती 29 सितम्बर सुबह 05:52 तक तत्पश्चात विशाखा

योग – वैधृति 29 सितम्बर प्रातः 03:07 तक तत्पश्चात विष्कम्भ

राहु काल – दोपहर 12:30 से 02:00 तक

सूर्योदय – 06:30

सूर्यास्त – 06:30

दिशा शूल – उत्तर दिशा में

ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:54 से 05:42 तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:06 से 12:54 तक

व्रत पर्व विवरण – नवरात्रि, देवी चंद्रघंटा की पूजा

विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

नवरात्रि – ( 28 सितम्बर)

नवरात्रि के तीसरे दिन मां भगवती की तृतीय शक्ति मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है । माना जाता है कि देवी चन्द्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से मानसिक शक्ति मिलती है ।

इस दिन मां के इस रूप की पूजा के समय गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं ।

स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने व स्वभाव पर विजय पाने का अवसर – शारदीय नवरात्रि

नवरात्रि में उपवास की महत्ता क्यों है ?

नवरात्रि में व्रत-उपवास, ध्यान, जप और संयम- ब्रह्मचर्य… पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहें – यह बड़ा स्वास्थ्य-लाभ, बुद्धि-लाभ, पुण्य- लाभ देता है । परंतु इन दिनों में जो सम्भोग करते हैं उनको दुष्फल भी हाथों-हाथ मिलता है । नवरात्रि संयम का संदेश देनेवाली है । यह हमारे ऋषियों की दूरदर्शिता का सुंदर आयोजन है, जिससे हम दीर्घ जीवन जी सकते हैं और दीर्घ सूझबूझ के धनी होकर ऐसे पद पर पहुँच सकते हैं जहाँ इन्द्र का पद भी नन्हा लगे ।

नवरात्रि के उपवास स्वास्थ्य के लिए वरदान हैं । अन्न से शरीर में पृथ्वी तत्त्व होता है और शरीर कई अनपचे और अनावश्यक तत्त्वों को लेकर बोझा ढो रहा होता है। मौका मिलने पर, ऋतु परिवर्तन पर वे चीजें उभरती हैं और आपको रोग पकड़ता है । अतः इन दिनों में जो उपवास नहीं रखता और खा-खा खा… करता है वह थका-थका, बीमार बीमार रहेगा, उसे बुखार बुखार आदि बहुत होता है ।

इस ढंग से उपवास देगा पूरा लाभ

शरीर में ६ महीने तक के जो विजातीय द्रव्य जमा हैं अथवा जो डबलरोटी, बिस्कुट या मावा आदि खाये और उनके छोटे-छोटे कण आँतों में फँसे हैं, जिनके कारण कभी डकारें, कभी पेट में गड़बड़, कभी कमर में गड़बड़, कभी ट्यूमर बनने का मसाला तैयार होता है, वह सारा मसाला उपवास से चट हो जायेगा । तो नवरात्रियों में उपवास का फायदा उठायें ।*

नवरात्रि के उपवास करें तो पहले अन्न छोड़ दें और २ दिन तक सब्जियों पर रहें, जिससे जठर पृथ्वी तत्त्व संबंधी रोग स्वाहा कर ले । फिर २ दिन फल पर रहें । सब्जियाँ जल-तत्त्व प्रधान होती हैं और फल अग्नि तत्त्व प्रधान होता है । फिर फल पर भी थोड़ा कम रहकर वायु पर अथवा जल पर रहें तो और अच्छा लेकिन यह मोटे लोगों के लिए है । पतले-दुबले लोग किशमिश, द्राक्ष आदि थोड़ा खाया करें और इन दिनों में गुनगुना पानी हलका-फुलका (थोड़ी मात्रा में) पियें । ठंडा पानी पियेंगे तो जठराग्नि मंद हो जायेगी ।*

अगर मधुमेह (diabetes), कमजोरी, बुढ़ापा नहीं है, उपवास कर सकते हो तो कर लेना । ९ दिन के नवरात्रि के उपवास नहीं रख सकते तो कम-से-कम सप्तमी, अष्टमी और नवमी का उपवास तो रखनी ही चाहिए ।

करोडो गौ दान का फल

सात धामों में द्वारका धाम । मोक्षदायी नगरियों में
अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवन्तिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायका:||

पश्चिम की तरफ सिर करके जो द्वारका का सुमिरन करते हुये स्नान करता है तो उसे करोड़ों गोदान फल मिलता है ।
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