दिनांक – 21 सितम्बर 2023*
दिन – गुरुवार*
विक्रम संवत् – 2080*
शक संवत् – 1945*
अयन – दक्षिणायन*
ऋतु – शरद*
मास – भाद्रपद*
पक्ष – शुक्ल*
तिथि – षष्ठी दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात सप्तमी*
नक्षत्र – अनुराधा दोपहर 03:35 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
योग – प्रीति रात्रि 01:45 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
राहु काल – दोपहर 02:04 से 03:35 तक*
सूर्योदय – 06:28*
सूर्यास्त – 06:38*
दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:53 से 05:41 तक*
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:09 से 12:57 तक*
व्रत पर्व विवरण – सूर्य षष्ठी, गौरी-आवाहन*
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
अदरक व सोंठ
यह तीखी, उष्ण, कफ-वातशामक एवं जठराग्निवर्धक है । यह जुकाम, खाँसी, श्वास, मंदाग्नि आदि वर्षा ऋतुजन्य अनेक तकलीफों में लाभदायी व हृदय की क्रियाशक्ति को बढ़ानेवाली है ।*
औषधि-प्रयोग
(१) दूध में १-२ चुटकी सोंठ मिलाकर पीना हृदय के लिए बलदायी है अथवा तज का छोटा टुकड़ा डालकर उबाला हुआ दूध पी जायें (तज का टुकड़ा खाना नहीं है) ।
(२) ताजी छाछ में चुटकीभर सोंठ, सेंधा नमक व काली मिर्च मिलाकर पीने से आँव, मरोड़ तथा दस्त दूर होकर भोजन में रुचि बढ़ती है ।
(३) १० मि.ली. अदरक के रस में १ चम्मच घी मिलाकर पीने से पीठ, कमर व जाँघ के दर्द में राहत मिलती है ।*
(४) अदरक के रस में सेंधा नमक या हींग मिलाकर मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*
परम उन्नतिकारक श्रीकृष्ण-उद्धव प्रश्नोत्तरी
(पूज्य बापूजी की ज्ञानमयी अमृतवाणी)*
उद्धवजी भगवान श्रीकृष्ण से पूछते हैं: “दरिद्र कौन है ?”*
श्रीकृष्ण : ‘जिसकी बहुत ख्वाहिशें हैं, इच्छाएँ हैं, जिसके मन में संतोष नहीं है वह दरिद्र है ।”*
“कृपण कौन है ?”
“जिसकी इंद्रियाँ वश में नहीं हैं… इधर- उधर देखा, इधर-उधर का खाया, जैसा मन में आया किया तो वह कृपण है ।” किया हुआ निर्णय छोड़ें नहीं तो इंद्रियाँ संयमित होंगी
“सच्चा मालिक कौन है ?”
“जो दुर्गुणों से तो दूर है पर सद्गुणों में भी आसक्त नहीं है वही सच्चा मालिक है ।”*
गुरुवार विशेष
हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
( लोक कल्याण सेतु , अंक – ११६ )
गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।