Aaj ka Panchang 29 September: आज है भाद्रपद मास की पूर्णिमा, जानें पंचांग में शुभ-अशुभ समय
Aaj ka Panchang 29 September: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 29 सितम्बर 2023*
दिन – शुक्रवार*
विक्रम संवत् – 2080*
शक संवत् – 1945*
अयन – दक्षिणायन*
ऋतु – शरद*
मास – भाद्रपद*
पक्ष – शुक्ल*
तिथि – पूर्णिमा दोपहर 03:29 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
नक्षत्र – उत्तरभाद्रपद रात्रि 11:18 तक तत्पश्चात रेवती*
योग – वृद्धि रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात ध्रुव*
राहु काल – सुबह 11:00 से 12:30 तक*
सूर्योदय – 06:30*
सूर्यास्त – 06:29*
दब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:54 से 05:42 तक*
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:06 से 12:54 तक*
व्रत पर्व विवरण – भाद्रपदी पूर्णिमा, महालय श्राद्धारम्भ, प्रतिपदा का श्राद्ध, गुरु अमरदासजी पुण्यतिथि*
विशेष – पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
महालय श्राद्ध
पितृपक्ष : 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर 2023*
29 सितम्बर 2023, शुक्रवार- पूर्णिमा व प्रतिपदा का श्राद्ध, महालय श्राद्धारम्भ*
श्राद्ध में रखें ये सावधानियाँ
पितरों को खिलाये बिना नहीं खायें । पराया अन्न भी नहीं खाना चाहिए ।*
श्राद्धकर्ता श्राद्ध पक्ष में पान खाना, तेल-मालिश, स्त्री-सम्भोग, संग्रह आदि न करें ।*
श्राद्ध का भोक्ता दुबारा भोजन तथा यात्रा आदि न करें । श्राद्ध खाने के बाद परिश्रम और प्रतिग्रह से बचें ।*
श्राद्ध करनेवाला व्यक्ति ३ से ज्यादा ब्राह्मणों तथा ज्यादा रिश्तेदारों को न बुलायें ।*
श्राद्ध के दिनों में ब्रह्मचर्य व सत्य का पालन करें और ब्राह्मण भी ब्रह्मचर्य का पालन करके श्राद्ध ग्रहण करने आये ।*
श्राद्ध में उत्तम क्या ?
तीन चीजें श्राद्ध में प्रशंसनीय हैं :*
*(१)शुद्धि*
*(२) अक्रोध*
*(३) अत्वरितता : जल्दबाजी नहीं, धैर्य ।*
तीन चीजें श्राद्ध में पवित्र होती हैं :*
*(१) तिल*
*(२) बेटी का बेटा दौहित्र*
*(३) कुतपकाल*
सुबह 11:36 से लेकर 12:24 तक विशेषकाल माना जाता है । थोड़ा आगे-पीछे हो जाय तो कोई बात नहीं लेकिन इस काल में श्राद्ध की विशेष पवित्रता होती है ।*
श्राद्धकाल में सात विशेष शुद्धियों का ध्यान रखना चाहिए :
*(1) नहा-धोकर शरीर शुद्ध हो ।*
*(2) श्राद्ध की द्रव्य-वस्तु शुद्ध हो ।*
*(3) स्त्री शुद्ध हो, मासिक धर्म में न हो ।*
*(4) जहाँ श्राद्ध करते हैं वह भूमि शुद्ध हो । गोझरण से, देशी गाय के गोबर से लीपन की हुई हो ।*
*(5) मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें ।*
*(6) ब्राह्मण भी शुद्ध भाववाला हो और तम्बाकू, जर्दा आदि का सेवन न करता हो ।*
*(7) मन को भी शुद्ध रखें ।*
ऋषि प्रसाद अगस्त 201
श्राद्धयोग्य तिथियाँ (भाग-१)
ऊँचे में ऊँचा, सबसे बढ़िया श्राद्ध श्राद्धपक्ष की तिथियों में होता है । हमारे पूर्वज जिस तिथि में इस संसार से गये हैं, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि को किया जाने वाला श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ होता है ।
जिनके दिवंगत होने की तिथि याद न हो, उनके श्राद्ध के लिए अमावस्या की तिथि उपयुक्त मानी गयी है । बाकी तो जिनकी जो तिथि हो, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि पर बुद्धिमानों को श्राद्ध करना चाहिए ।
जो पूर्णमासी के दिन श्राद्धादि करता है उसकी बुद्धि, पुष्टि, स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति, पुत्र-पौत्रादि एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती। वह पर्व का पूर्ण फल भोगता है ।
इसी प्रकार प्रतिपदा धन-सम्पत्ति के लिए होती है एवं श्राद्ध करनेवाले की प्राप्त वस्तु नष्ट नहीं होती ।यह भी पढ़ें: Poonam Pandey Sexy Video: सामने आया पूनम पांडे का ऐसा वीडियो, देखकर लग सकता है करंट