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Aaj ka Panchang 26 April: वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि, जानें शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा

Aaj ka Panchang 26 April: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 26 अप्रैल 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म
मास – वैशाख
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी सुबह 11:27 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – पुनर्वसु पूर्ण रात्रितक
योग – सुकर्मा सुबह 08:07 तक तत्पश्चात धृति
राहु काल – दोपहर 12:38 से 02:14 तक
सूर्योदय – 06:11
सूर्यास्त – 07:04
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:42 से 05:26 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:15 से 12:59 तक
व्रत पर्व विवरण – गंगा सप्तमी
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) : 26 अप्रैल
 जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी ) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुईं वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी ) के नाम से जाना जाता है । इन दिनों में गंगाजी में गोता मारने से विशेष सात्त्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है ।

गंगा स्नान का मंत्र

 गंगा स्नान के लिए रोज हरद्वार तो जा नही सकते, घर में ही गंगा स्नान का पुन्य मिलाने के लिए एक छोटा सा मन्त्र है:-*
*ॐ ह्रीं गंगायै । ॐ ह्रीं स्वाहा ।।*
*ये मन्त्र बोलते हुए स्नान करे तो गंगा स्नान का लाभ होगा ।*

 गंगाजी का मूल मंत्र

 वेद व्यासजी कहते थे कि गंगाजी का एक गोपनीय मंत्र है । और वो गंगाजी का मूल मंत्र एक बार भी जप करो तो तुम निष्पाप होने लगोगे
गंगाजी का मंत्र – ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम: ।*
 जीभ तालू में लगाओ और मन में खाली एक बार बोलो । एक बार जपने से आप का मन पवित्र हो जायेगा । गंगा मैया !! आप विश्वरूपिणी हो, नर नारायण स्वरूपी हो, गंगामाई तुमको नमस्कार !!
सर्वरोगहारी निम्ब (नीम) सप्तमी*
*निम्ब सप्तमी : 27 अप्रैल 2023*
‘भविष्य पुराण’ ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतु जी राजा शतानीक को निम्ब सप्तमी (वैशाख शुक्ल सप्तमी) की महिमा बताते हुए कहते हैं- “इस दिन निम्ब पत्र का सेवन किया जाता है । यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरने वाली है। इस दिन भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए । सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नैवेद्य के रूप में गुड़ोदक (गुड़ मिश्रित जल) समर्पित करे व भगवान सूर्य को निवेदित करके 10-15 कोमल पत्ते प्राशन (ग्रहण) करेः*
त्वं निम्ब कटुकात्मासि आदित्यनिलयस्तथा ।
सर्वरोगहरः शान्तो भव मे प्राशनं सदा ।।
‘हे निम्ब ! तुम भगवान सूर्य के आश्रय स्थान हो । तुम कटु स्वभाव वाले हो । तुम्हारे भक्षण करने से मेरे सभी रोग सदा के लिए नष्ट हो जायें और तुम मेरे लिए शांतस्वरूप हो जाओ ।’*
इस मंत्र से निम्ब का प्राशन करके भगवान सूर्य के समक्ष पृथ्वी पर आसन बिछाकर बैठ के सूर्यमंत्र का जप करे। भगवान सूर्य का मूल मंत्र है ‘ॐ खखोल्काय नमः।’ सूर्य का गायत्री मंत्र है-
*‘ॐ आदित्याय विद्महे विश्वभागाय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।’*
इसके बाद मौन रहकर बिना नमक का मधुर भोजन करे ।”*

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