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Eid al-Adha: आखिर क्यों दी जाती है बकरे की ही कुर्बानी? क्या हैं बकरीद के मायने?

मीठी ईद के 2 महीने बाद मनाई जाती है बकरीद, जानिये क्या है Eid al-Adha का महत्व।

ईद का दिन चाँद निकलने पर निर्भर करता है। बकरीद जिसे ईद-उल-अज़हा और ईद-उल-जुहा भी कहा जाता है, इस साल 21 जुलाई को मनाई जा रही है। बता दें कि मीठी ईद के बाद, बकरीद इस्लाम का सबसे मुख्या त्यौहार मान जाता है, जिसे मुख्य तौर पर कुर्बानी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं इससे जुडी कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प बातें।

मीठी ईद के 2 महीने बाद

Meethi Eid Celebration

मीठी ईद या ईद-उल-फ़ित्र के ठीक 2 महीने बाद बकरीद(Eid al-Adha) मनाई जाती है जिसमे मुस्लिम समुदाय द्वारा एक बड़ी संख्या में बकरे की कुर्बानी दी जाती है। यह सुनकर यदि आपके मन में भी ये विचार आता है कि आखिर बकरे की ही कुर्बानी क्यों दी जाती है? तो बता दें, कि कई अन्य जानवरों की कुर्बानी भी दी जाती है। हालाँकि बकरे की कुर्बानी का अपना अलग ही महत्व है।

बकरे की कुर्बानी का विशेष महत्व क्यों?

Bakreed 2021

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक़ हज़रत इब्राहिम को अल्लाह का पैगम्बर माना जाता है। इन्होंने अपना पूरा जीवन जनसेवा और समाजसेवा के काम करते हुए ही बिताया। लेकिन कहा जाता है कि 90 साल की उम्र तक भी हज़रात इब्राहिम को कोई संतान नहीं हुई थी। संतान पाने के लिए उन्होंने अल्लाह से इबादत की। इबादत से खुश होकर अल्लाह ने उन्हें उनका बेटा इस्माइल दिया।

पैगम्बर को आया सपना 

Hazrat Ibrahims dream

हज़रत इब्राहिम को सपने में आदेश मिला कि वह खुदा की राह में कुर्बानी दें। इस आदेश के अनुसार उन्होंने ऊँट की कुर्बानी दे दी। इसके बाद उन्हें फिर सपना आया और आदेश मिला कि वह अपनी सबसे प्यारी चीज़ की कुर्बानी दें। इस बार उन्होंने अपने सभी प्रिय जानवर कुर्बान कर दिए। इसके बाद भी उन्हें फिर वही सपना आया। सपने में आदेश हुआ कि इब्राहिम अपनी सबसे अज़ीज़ चीज़ की कुर्बानी दें।

जब दी सबसे अज़ीज़ चीज़, बेटे की कुर्बानी

ibrahim sacrificed son

अपने सभी प्रिय जानवर कुर्बान कर देने के बाद भी जब उन्हें वही सपना आया और सबसे प्यारी चीज़ कुर्बान करने का आदेश मिला तो अल्लाह पर भरोसा रखते हुए इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने का फैसला किया। इस पर अमल करते हुए उन्होंने अपनी पत्नी से बेटे को नहलाकर तैयार करने को कहा। पत्नी ने ऐसा ही किया जिसके बाद इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी देने चल दिए।

ल्लाह ने लिया इम्तिहान

Allah tested Ibrahim

इब्राहिम की निष्ठां और भरोसे को देख कर अल्लाह ने उनके बेटे इस्माइल की कुर्बानी को एक बकरे की कुर्बानी में बदल दिया। जब इब्राहिम ने इस्माइल की कुर्बानी दी तो उन्होंने अपनी आँखों पर काली पट्टी बाँध ली थी। लेकिन जब कुर्बानी के बाद उन्होंने काली पट्टी खोली तो बेटे को हँसता खेलता पाया। इस्माइल की जगह बकरे की कुर्बानी हो चुकी थी।    

ऐसे हुआ कुर्बानी का प्रचलन

Importance of Kurbaani

इब्राहिम की निष्ठां, विशवास और कुर्बानी से खुश हो कर अल्लाह ने उन्हें पैगम्बर बना दिया। इस घटना के बाद से ही इस अवसर पर बकरे की कुर्बानी की परंपरा की प्रथा प्रचलन में है। बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक़, बकरीद या ईद-उल-अज़हा जिलहिज्ज के महीने में मनाई जाती है। 

क्या किया जाता है कुर्बानी के बाद?

Celebration after kurbaani

बकरे की कुर्बानी देने के बाद, उसके गोश्त को तीन हिस्सों में बाँट दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक़ गोश्त को तीन हिस्सों में बांटने की सलाह शरीयत में दी गई है। इसके अनुसार, एक हिस्सा गरीबों में बांटा जाता है। दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और तीसरा हिस्सा घर के लिए रखा जाता है। 

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Vasundhra Tyagi

वसुंधरा त्यागी कंटेंट मार्केटिंग और राइटिंग की फील्ड में करीब 2 साल से कार्यरत हैं। वर्तमान में तेज़ तर्रार मीडिया में बतौर राइटर और एडिटर अपना रोल निभा रही हैं। इन्होंने दिल्ली से जुड़े कई मुद्दों और आम आदमी की समस्याओं को अपने लेख में प्रकाशित कर सम्बंधित अधिकारियों और विभागों का ध्यान इन समस्याओं की और केंद्रित करवाया है।

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